क्या है स्वीप इन फैसिलिटी?
स्वीप इन फैसिलिटी के तहत जब सेविंग्स अकाउंट की जमा एक निश्चित लिमिट के पार चली जाती है तो सरप्लस अमाउंट FD में कन्वर्ट हो जाता है। यह लिमिट अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग हो सकती है। इस कन्वर्टेड FD के अमाउंट पर बैंक में FD के लिए तय ब्याज दर के हिसाब से ब्याज मिलता है। स्वीप इन फैसिलिटी के चलते कस्टमर को सेविंग्स अकाउंट की जमा पर उसके लिए तय ब्याज मिलता रहता है, साथ ही स्वीप इन के तहत कन्वर्ट हुई FD पर उसके लिए तय ब्याज मिलने लगता है। इस तरह कस्टमर को डबल फायदा होता है।
लिमिट में बैलेंस आया तो FD हो जाएगी खत्म

सेविंग्स अकाउंट में जमा जब तक निश्चित लिमिट से ज्यादा रहेगी, स्वीप इन के तहत बनी FD ऑटोमेटिकली चलती रहेगी। लेकिन सेविंग्स अकाउंट का बैलेंस लिमिट के अंदर आने पर सरप्लस अमाउंट वाली FD खत्म हो जाती है और पैसा फिर से सेविंग्स अकाउंट में आ जाता है व उस पर फिर सेविंग्स अकाउंट वाला ब्याज मिलने लगता है। इसे स्वीप आउट कहते हैं। ग्राहक को स्वीप इन FD का ब्याज सरप्लस अमाउंट पर ही मिलता है और तब तक ही मिलता है, जब तक सेविंग्स अकाउंट बैलेंस लिमिट से ज्यादा रहता है।
अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग नाम से है सुविधा

कुछ बैंक नॉर्मल सेविंग्स अकाउंट को ही इस स्वीप इन फैसिलिटी से लिंक कर देते हैं लेकिन कुछ बैंकों में इसके लिए अलग से सेविंग्स अकाउंट हैं। जैसे- SBI में सेविंग्स प्लस अकाउंट, HDFC बैंक में स्वीप इन फैसिलिटी, बैंक ऑफ इंडिया में सेविंग्स प्लस स्कीम, ICICI बैंक में मनी मल्टीप्लायर अकाउंट आदि। स्वीप इन फैसिलिटी को लेकर हर बैंक के अलग नियम व क्राइटेरिया रहते हैं।
एक से ज्यादा भी FD

स्वीप इन फैसिलिटी के तहत होने वाली FD के लिए भी एक तय डिपॉजिट लिमिट होती है। यानी उस FD में उस लिमिट से ज्यादा अमाउंट नहीं जा सकता। ऐसे में आपके पास स्वीप इन के तहत एक से ज्यादा FD का भी ऑप्शन रहता है। यानी सरप्लस अमाउंट बढ़ते जाने पर आप एक से ज्यादा FD रखकर ज्यादा ब्याज का फायदा ले सकते हैं। इस वक्त बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरें अलग-अलग अवधियों के लिए 3 फीसदी से लेकर 7 फीसदी तक हैं।
Tax Saving: बैंक खाते से कैसे ज्यादा टैक्स बचाता है डाकघर का खाता, वीडियो में जानें

Tax Saving: बैंक खाते से कैसे ज्यादा टैक्स बचाता है डाकघर का खाता, वीडियो में जानें